जयपुर में ‘पुण्यश्लोका अहिल्या’ नाटक में जीवंत हुआ अहिल्याबाई होल्कर का जीवन

जयपुर के महाराष्ट्र मंडल में “पुण्यशलोका अहिल्या” नाटक का एक प्रभावशाली मंचन किया गया। कार्यक्रम में सिविल लाइंस के विधायक गोपाल शर्मा की उपस्थिति ने इसे और भी विशेष बना दिया।

“पुण्यशलोका अहिल्या” इंदौर की प्रसिद्ध महारानी अहिल्याबाई होल्कर की कहानी है, जो एक साधारण गाँव से उठकर एक दयालु शासक, न्यायप्रिय नेता, कुशल रणनीतिकार और सादगी की प्रतिमूर्ति बनीं। नाटक में उनके संघर्षपूर्ण जीवन को दर्शाया गया है, जिसमें उन्होंने युवावस्था में ही अपने पति, बेटे और पोते को खोया, महत्वाकांक्षी लोगों के बीच वर्चस्व के लिए चल रही लड़ाई को देखा और अंग्रेजों के अत्याचारों का सामना किया।

इन कठिनाइयों के बावजूद, अहिल्याबाई ने पुणे की पेशवाई, अपनी प्रजा और हिंदू धर्म के प्रति अपनी निष्ठा अटल रखी। उन्होंने अपनी संपत्ति का उपयोग 300 से अधिक मंदिरों, धर्मशालाओं, कुओं और बावड़ियों के निर्माण के लिए किया। उन्होंने अन्नक्षेत्रों (भंडारों) की भी व्यवस्था की, जो आज भी कार्यरत हैं। उनकी प्रशंसा जनता के साथ-साथ कई इतिहासकारों ने भी की है।

नाटक का लेखन और निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी संदीप लेले ने किया है। इसमें पल्लवी, विदुषी, शांभवी, चित्रांश, राहुल, इंद्रपाल सिंह, विशाल, अंकित सेन, हृदया, सुरुचि, जितेंद्र, समर्थ, गौरव, प्रकाश दायमा, देव, प्राची मोहंती और संदीप लेले ने शानदार अभिनय किया है। वेषभूषा मंजरी हरसोलेकर, संगीत सुयश लेले, श्रृंगार रवि बांका और प्रकाश व्यवस्था शहजोर अली ने संभाली है। नाटक के गीत गरिमा शर्मा ने लिखे हैं, संगीत श्याम रेड्डी ने दिया है, और गायन संजय रायज़ादा, नेहा काला और राजेंद्र गोस्वामी ने किया है।

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