चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि हर निजी संपत्ति को संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के अंतर्गत सामुदायिक संपत्ति का हिस्सा नहीं माना जा सकता। इस फैसले से निजी संपत्ति के अधिकारों का बचाव हुआ है।
बेंच ने अपने फैसले में कहा, “अनुच्छेद 39(बी) का उद्देश्य सामुदायिक संपत्ति के प्रबंधन और वितरण को नियंत्रित करना है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति माना जाए।”
यह फैसला एक मामले की सुनवाई के दौरान सुनाया गया, जिसमें एक व्यक्ति ने तर्क दिया था कि उसकी निजी संपत्ति को उसके समुदाय ने जबरन लिया था। बेंच ने व्यक्ति की दलील को खारिज करते हुए कहा कि उसकी संपत्ति अनुच्छेद 39(बी) के तहत सामुदायिक संपत्ति नहीं आती।
बेंच ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 39(बी) का उद्देश्य सामुदायिक संपत्ति के उचित उपयोग और वितरण को सुनिश्चित करना है, निजी संपत्ति के अधिकारों का हनन करना नहीं।