राजस्थान में पुनर्जीवित पनीर-पापड़ प्लांट: गंभीर बीमारियों का इलाज खोजा

पनीर बंद का पौधा

एक समय था जब “पनीर बंद के पौधे” से फूलों से पनीर बनाया जाता था। फूलों को दूध में एक रात के लिए भिगोया जाता था, जिससे अगले दिन खट्टा पनीर तैयार हो जाता था। वर्तमान में, इस पौधे का उपयोग दवा बनाने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में, इस पौधे को कई बीमारियों के इलाज और रोकथाम के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसके औषधीय गुणों के कारण इसे “इंडियन चीज मेकर” के रूप में भी जाना जाता है।

पापड़ खार का पौधा

“पापड़ खार” एक पौधा था जिसका उपयोग पापड़ में मिलाए जाने वाले खार बनाने के लिए किया जाता था। इसे जलाकर राख तैयार की जाती थी, जिसका उपयोग खार के रूप में किया जाता था।

काजरी का प्रयास

जोधपुर में केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) ने इन दोनों लुप्तप्राय पौधों को पुनर्जीवित किया है। संस्थान का उद्देश्य इन पौधों के इतिहास और उपयोग को भावी पीढ़ियों तक पहुंचाना है।

पनीर बंद का पौधा

* झाड़ीदार पौधा है जिसमें छोटे फूल होते हैं।
* इसके फूलों का उपयोग दवाओं के निर्माण में किया जाता है।
* यह ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
* यह त्वचा की समस्याओं, सर्दी-जुकाम और बुखार के उपचार में भी उपयोगी है।

पापड़ खार का पौधा

* छोटा, घास जैसा दिखने वाला पौधा है।
* इसका उपयोग सोडियम कार्बोनेट (पापड़ खार) बनाने के लिए किया जाता है।
* यह मुख्य रूप से अफगानिस्तान में पाया जाता है।
* भारत में इसे पापड़ उद्योग के लिए निर्यात किया जाता है।

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