शनिवार को, जिला मुख्यालय और पूरे जिले में गोवर्धन पर्व धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया गया।
सुबह होते ही सजी-धजी महिलाओं ने अपने घरों के बाहर गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाए। फिर, उन्होंने विधिवत पूजा-अर्चना की और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा की।
दीपावली का पर्व पिछले पांच दिनों से मनाया जा रहा है। इसके हिस्से के रूप में, आज महिलाओं ने अपने घरों के बाहर गोबर से आकर्षक गोवर्धन पर्वत बनाए। इसके बाद, उन्होंने गोवर्धन पर्वत की पूजा की और भगवान कृष्ण की कथा सुनाई। उन्होंने भक्तिगीत गाए और परिक्रमा भी की।
पंडित यज्ञी कुमार शर्मा ने बताया कि गोवर्धन पर्वत को अन्नकूट भी कहा जाता है। गोवर्धन पर्वत की पूजा का धार्मिक महत्व है। घरों में अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि गोवर्धन की पूजा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है। यह दिवाली के दूसरे दिन मनाया गया, जो इस बार 2 नवंबर को पड़ा। इससे पहले, शुक्रवार की रात दिवाली पर लोगों ने जमकर आतिशबाजी की और एक-दूसरे को शुभकामनाएं दीं।